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लोकवेद पीठ एक तांत्रिक और साधनात्मक पूजा पद्धति है, जिसका उद्देश्य विशेष ऊर्जा और शक्ति के संतुलन को प्राप्त करना होता है। और यह हिंदू, बौद्ध, और तंत्र विद्या में एक महत्वपूर्ण केन्द्र है। कुंडलिनी चक्र शरीर और जीवन की आंतरिक व बाह्य स्थितियों से जुड़ी सशक्त और दिव्य शक्ति का प्रतीक हैं, जिनमें नाड़ी चक्र (सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र) और गति चक्र (बाहरी गतिविधियों से संबंधित) मुख्य माने जाते हैं।

लोकवेद पीठ में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है, जिनमें गर्भाधान, जातकर्म, उपनयन, और अंत्येष्टि जैसे संस्कार मानव जीवन के विभिन्न चरणों को पवित्र और अनुशासित बनाते हैं। ये न केवल धार्मिक जीवन का हिस्सा हैं, बल्कि आत्मिक उन्नति और सामाजिक संतुलन का साधन भी हैं। वहीं तांत्रिक कर्मकाण्ड, जो तंत्र शास्त्र पर आधारित एक अनूठी पूजा-पद्धति है, शक्तियों को जागृत करने और नियंत्रित करने के उपायों से संबंधित है, जिसमें विशेष रूप से शाक्त तंत्र (देवी की पूजा) और अन्य साधनाएं सम्मिलित होती हैं। जिसका उपयोग शांति, समृद्धि, और सफलता प्राप्त करने के लिए होता है।