कर्मकाण्ड

वैदिक कर्मकाण्ड

वैदिक कर्मकाण्ड में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है। इनमें गर्भाधान, जातकर्म, उपनयन और अंत्येष्टि जैसे प्रमुख संस्कार आते हैं। ये संस्कार मानव जीवन के विभिन्न पड़ावों पर किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य व्यक्ति के जीवन को पवित्र और अनुशासित बनाना है।

वैदिक कर्मकाण्ड न केवल धार्मिक जीवन का हिस्सा है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति और सामाजिक संतुलन का एक महत्वपूर्ण साधन भी है।

तांत्रिक कर्मकाण्ड

तांत्रिक कर्मकाण्ड एक विशेष प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पद्धतियों का समूह है, जो तंत्र शास्त्र पर आधारित होते हैं। तंत्र शास्त्र वैदिक परंपरा से अलग एक अद्वितीय पद्धति है, जो शक्तियों (दैवी ऊर्जा) को प्राप्त करने और उन्हें नियंत्रित करने के उपायों से संबंधित है। इसमें विशेष रूप से शाक्त तंत्र (देवी की पूजा) और अन्य साधनाओं का समावेश होता है।

श्री यंत्र पूजन

श्री यंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य तांत्रिक यंत्र है, जिसका उपयोग शांति, समृद्धि, और सफलता प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह यंत्र देवी लक्ष्मी की प्रतीक और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। श्री यंत्र का पूजन विशेष प्रकार से किया जाता है, जिसमें मंत्रों का जाप और यंत्र का पूजन सर्वोत्तम परिणामों को प्राप्त करने के लिए अनिवार्य होता है।

चक्र पूजन

चक्र पूजन एक तांत्रिक एवं साधनात्मक पूजा पद्धति है, जिसका उद्देश्य विशेष ऊर्जा और शक्ति के संतुलन को प्राप्त करना होता है। “चक्र” संस्कृत में “चक्र” का अर्थ होता है ‘चक्कर’ या ‘सर्कल’, और यह हिंदू, बौद्ध, तंत्र विद्या में विशेष रूप से प्रचलित एक अनुष्ठान है। चक्र एक प्रकार की सशक्त और दिव्य शक्ति की प्रतीक होते हैं जो शरीर और जीवन की आंतरिक और बाह्य स्थितियों के साथ गहरे जुड़ते हैं। विशेष रूप से, नाडी चक्र (सूक्ष्म या अंदरूनी चक्र) और गति चक्र (बाहरी गतिविधि से संबंधित चक्र) मुख्य होते हैं।