वेद-पुराण क्या है ?

वेद-पुराण क्या है और एकेश्वरवाद और बहुदेववाद पर आधारित हिन्दुओं के संप्रदाय कितने हैं। वेदों के सूत्रों के आधार पर ही आयुर्वेद, धनुर्वेद, स्थापत्यवेद और गान्धर्ववेद का निर्माण हुआ। आयुर् वेद के कर्ता धन्वन्तरि, धनुर्वेद के कर्ता विश्वामित्र, गान्धर्ववेद के कर्ता नारद मुनि और स्थापत्यवेद के कर्ता विश्वकर्मा हैं।


वेदों को पढ़कर ही अक्षपाद गौतम ने न्यायदर्शन लिखा, महर्षि कणाद ने वैशेषिक दर्शन को समझाया, आद्याचार्य जैमिनि ने मीमांसा दर्शन की शुरुआत की, महर्षि कपिल ने सांख्य दर्शन लिखा, महर्षि वादरायण ने वेदांत लिखा और महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र लिखा। इस तरह वेदों के ये छह दर्शन बने। उक्त छह दर्शन के आधार पर ही दुनिया के अन्य दर्शनों और धर्मों की उत्पत्ति हुई।

मध्यकाल में सायणाचार्य ने वेदों पर भाष्य लिखे।पुराण जो बौद्ध काल में लिखे गए हैं यही वो समय था जब हिन्दुजन वैदिक धर्म को छोड़कर पुराणिकों और अन्य भ्रमपूर्ण धर्मों का पालन करने लगे।और धीरे धीरे वेदों का ज्ञान लुप्त होने लगा । जब से हिन्दुओं ने वेदों को छोड़ा तब से उसका पतन शुरू हो गया। तुर्क, ईरानी, और अरबी आक्रांताओं ने वेदों के ज्ञान को जला दिया, तो अंग्रेजों ने वेदों के ज्ञान को भ्रमपूर्ण बनाने का कार्य किया। इस तरह अब जो वेद हैं वह शोध का विषय हो गए हैं। उसके ज्यादातर ज्ञान का लोप हो गया है।.

लेकिन मैथिल परंपरा के ऋषि मुनि जिनके द्वारा न्याय दर्शन और सांख्य दर्शन दिया गया जिस पर आज संसार का दोनो ध्रुव टिक हुआ है ,साथ ही मैथिल हिन्दू संत परंपरा को जितना हो सकता था उतना वेदों का ज्ञान संरक्षित कर रखा है ।कारण है कि ऋग्वेद के प्रथम मंत्र के द्रष्टा जहां मैथिल ऋषि थे वही गीता और उपनिषद की संकल्पना भी मैथिल ऋषियों की ही देन है क्योकि विचार और ज्ञान की संकल्पना और अवधारणा मैथिलों को पैतृक गुण के साथ ही उसके गुणसूत्र में ही निहित है।ब्रम्हज्ञान की संकल्पना और तंत्रशास्त्र के साथ मोक्ष की अवधारणा की भी जननी मिथिला ही है । इसलिए ज्यादा से ज्यादा मैथिलों को चाहिए कि वेदों के ऊपर शोध करे और फिर से धरती पर वैदिक और कौलिक धर्म की स्थापना करे ।